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उन्मुक्त

एक चिड़िया चली उड़ने आसमां के सपने, कोई ना अपने खुद से उड़ने एक चिड़िया चली उड़ने चलत चलत वो उड़त उड़त वो पहुँच गयी दूर देश सोन चिडियाँ, मोती बोली भाए सबको भेष दीवाना दुनिया को करने एक चिड़िया चली उड़ने देख के दुनिया इस चिड़िया को करने लगी अब कैद जाल बिछाए कई बहेलिया लुभावन देत अनेक भोली लगी फंसने एक चिड़िया चली उड़ने ऊँची पिंजरवा, नीचे दुनिया बहेलिया लगा उड़ने संग बहेलिया, बिन पंख के लगी चिड़िया उड़ने हो गया घमंड चिड़िया को खुदपर पर भूल गयी थी खुद के पर भ्रमित चिड़िया उड़ती रही सफल बहेलिया उड़ाता रहा सोची हो गए पुरे सपने एक चिड़िया चली उड़ने बेपंख चिड़िया को देखे कौन बाहर पिंजर के फ़ेंक के, बोला बहेलिया तू कौन? लगी, अब रोने एक चिड़िया चली उड़ने एक दिन नींद से जागी चिड़िया याद आया उसे अपना सपना करी जतन खुद से उड़ने की तोड़ लिये ख़ुद के पर ही अब खुद उन्मुक्त करने एक चिड़िया चली उड़ने वक़्त लगा खुद्दारी आई फिर अपनों की यारी आई सीख वो सीखी, दर्द वो भूली आए निकल नए पर चली उड़ान भरने एक चिड़िया चली उड़ने पहली उड़ान ये नई उड़ान आनंद दे ह्रदय को उसके और ऊँचे उड़ने की चाहत लगी

GO AHEAD....BE AHEAD

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सपनें किसके नहीं होते.........कुछ ना कुछ तो जरूर होते है पर होता क्या है अंत में उन सपनों का, जब मूल्य चुकाने की बारी आती है तो लोग अपने सपने भूल जाते है ...... और जिम्मेदारियों के बोझ से किसी पड़ाव पर रुक जाते हैं.....बस यही कहना चाहता हूँ रुको नहीं,आगे बढ़ो   कलयुग  भँवर  ऎ पथिक,आगे निकल  मध्य में हो, ना विफल  लक्ष्य तेरा शीर्ष है कर तपस्या, पीछे ना हट   ऎ पथिक,आगे निकल देख कर अश्रु की धारा  ह्रदय अपना जिसने है हारा  हो गया भ्रमित जहाँ पर  थम गयी मंजिल वहाँ पर  बन कठोर, तू ना पिघल  ऎ पथिक,आगे निकल  मध्य में हो, ना विफल। इस सफर में कई भँवर है  राह में गह्वर बहुत है  खोना ना तू,रोना ना तू  कर भरोसा,खुद पर तू अपने  दिव्य शक्ति का ध्यान कर  ऎ पथिक,आगे निकल  मध्य में हो, ना विफल। कहते धनुर्धर लोग उसको  पक्षी की आँखे,दिखती है जिसको  बन तू अर्जुन,दुनिया सारथी बनेगी  पर भूल ना द्रोणाचार्य के चरण  ऎ पथिक,आगे निकल  मध्य में हो, ना विफल। है ये कलयुग तू जान ले  वक़्त को पहचान ले  मार्ग सरल, सफलता है देती  मार्ग कठ

BE ORIGINAL

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हर इंसान की बुनियाद उसका पैतृक स्थान ही होता है ....... छोड़ कर वो जगह अगर आपको लगता है आप बिलकुल बदल गए तो आप सरासर गलत है........ आपमें अभी भी वही की खुशबु है ,वही की बात है …… मुखौटा पहनना छोड़ दो, जिंदगी जीना सीख लो      अब  मै  अपने  गाँव  चला  मिट्टी जिससे बना हु मै, उसकी खुशबू लेने, मै चला  अब मै अपने गाँव चला।  क्यों चला, शहर की शोर में, गैया की मां  कमरे की एसी मे, पीपल की छाँव  चौड़े सड़क पर, खेत की आरी  पानी की बोतल मे, कुँए का पानी  बड़े दुकानो में, छोटा शिवाला  चमचमाती चम्मच में, दादी का निवाला हाय हेलो में, बड़ों का आशीर्वाद  ढूंढने लगा, रोने लगा, कहने लगा  अब मै अपने गाँव चला।  क्यों है यहां लोगों में लगी बस होड़  क्यों ना देते इस झूठी दुनिया को छोड़  आओ, चलो, सोचों मत  बस चल पड़ो अपने गाँव की ओर। 
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दिन  के उजाले में अँधेरे को महसूस करके देखो….... आँखे बंद करके खुली दुनिया को देखो .......... सांसे रोककर कभी जिंदगी को जियो……………  अच्छा लगेगा   दो पलकें  ..........  दो खुली पलकें दो झुकी पलकें , आमने सामने है क्यों आज ये अजनबी बनके  धड़कने सुन रहा है कोई आँखे पढ़ रहा है कोई  बिन बोले ही बहुत कुछ सुन रहा है कोई  .......  ज़माने की नज़र लग गई हमारी दास्ताँ सुनके , फिर भी तोड़ ना पाये ये धागे हमदोनो के मन के
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आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में किसी के पास किसी के लिए समय और प्यार नहीं है..... यहाँ एक ऐसे ही बच्चे की मन की आवाज़ है जो अपनी व्यस्त माँ के प्यार से वंचित होकर उनके सो जाने के बाद उसके दिल में गूंजती है........   चाँद का कटोरा  जब सोती है तू, तब रोता हूँ मै....  रात काली ये अँधेरी, डराती है मुझे और ये दिल है हर वक़्त चाहता, बस देखना तुझे.... इन अंधेरों में यूहीं कही खोता हूँ मैं जब सोती है तू, तब रोता हूँ मै....  बातें जो कही थी तुमसे माँ, वो सच है.…  कहने को और भी बहुत कुछ है सुनोगी भी की नहीं, यही सोचता हूँ मैं जब सोती है तू, तब रोता हूँ मै.... आज कुछ ऐसा ही महसूस कर रहा हूँ ....  ज़रा आकर देखो, जीते जी मर रहा हूँ बस तेरे पास, अपने सपनो में ही होता हु मैं जब सोती है तू, तब रोता हूँ मै....

IMAGINE YOUR LIFE WITHOUT BIRD

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पक्षी जिसे हम हर रोज़ देखतें हैं पर कभी उनकी मन की भावनावों को समझने की कोशिश नहीं करते....... वो कुछ बोलना चाहते  है.…… मैंने सुनने की कोशिश की....... जब एक दिन मै अपने कॉलेज के वर्कशॉप के ऊँची बिल्डिंग के पास बैठा था तभी एक चिड़ियाँ उस ऊँची बिल्डिंग से टकराई और गिर गई……… और उसने मुझसे कहा  ज़रा महसूस तो करो..... पर काट दिये तुमने मेरे, ये ऊँची इमारतें बनाकर…..  फिर भी चैन मिलता नही तुम्हे, मेरी दुनिया को मिटाकर फूटे सर या टूटे पर, होगा कैसे तुमपर असर.…  हमारी हस्ती मिटाने को तुमने, छोड़े नहीं है कोई कसर शान से ऊपर कॉलर करके, कहते हो अब विकसित है हम....  ज़रा बताओ तो तुम्हारी नयी हवा में, क्यों घुटने लगता है दम  मेरी दुनिया को रोककर, लिखते हर रोज़ नई कहानी..… रोक सको तो रोक लो ना, अपनी घटती जवानी    

LOVE IN RAIN

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मेरी पहली शायरी   होली की याद कैसी वो बारिश थी, कैसी वो रात बिन भीगे भीग गए हम, जाने कैसी थी वो बात।  लाल था चेहरा मेरे यार का, चढा था रंग उसपर प्यार का फिर कब होगी बारिश, कब आयगी रात कब होगी पूरी, हमारी अधूरी सी वो बात.………